Gajasin shani maharaj

हर पल हर घडी है मुझको ये आभास,
ये तन मेरा ये मन रहता है तुम्हारे पास,
सब कष्ट हरे सब दुःख हरे,
किये दूर सारे त्रास,
ओ गजसिन शनि महाराज,
ये दादू तुम्हारा है दास,
सब से सरल अराधना तुम्हारी,
सब से सरल उपासना तुम्हारी,
तुम न्याए प्रिये हो तुम धर्म प्रिये हो,
नही करते हो कोई हाश,
ओ गजसिन शनि महाराज,
हम सब है तुम्हारे ही दास,
निलंजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम,
छाया मार्तण्ड सम भुतं तम नमामि शन्सचरं ॥
जब जब जिसने तुमको पुकारा,
बदला नसीब दिया उसको सहारा,
दी तुमने छमा है की तुमने दया है
जो आया तुम्हारे पास
ओ गजसिंन शनि महाराज
हम सब है तुम्हारे ही दास