Brahmanaspati Aarti Lyrics
आरती ब्रह्मणस्पति,
नेति आणि विश्वाची गति ।
शांति योग प्राप्ति कराने,
सकला भ्रमा तुजा ध्याति ।।
आरती ब्रह्मणस्पति,
नेति आणि विश्वाची गति ।
शांति योग प्राप्ति कराने,
सकला भ्रमा तुजा ध्याति ।।
समुदाय गणवाचक,
अनंत गणांचा स्वामी ।
नाम शोभे गणपति,
भिन्न भिन्न नही सरवी ।
सगुणी रूप धारिले,
तेथे ओंकार तुम्ही ।
स्वांडी अखंड वासा,
सकला सुखाचे भ्रमी ।।
आरती ब्रह्मणस्पति,
नेति आणि विश्वाची गति ।
शांति योग प्राप्ति कराने,
सकला भ्रमा तुजा ध्याति ।।
सकलांचा आई बाप,
याहुनी जेष्ठ राजा ।
भक्ति मुक्ति आजी पागा,
सगुणा सिद्धीचे स्वाग ।
आत्मा ध्यान बुद्धि मना,
त्याचा पति तु विराज ।
जयलागि सकला पूजति,
द्न्याना आणि पदांचे काज ।।
आरती ब्रह्मणस्पति,
नेति आणि विश्वाची गति ।
शांति योग प्राप्ति कराने,
सकला भ्रमा तुजा ध्याति ।।
सकलाचिट्टी वासा तुझा,
चिंतामणि याहूना ।
सकलांची सत्ता तुची,
विघ्नराजा नाम जाना ।
ब्रह्मा अम्ही ऐसे सर्वे,
पद भ्रष्ट करी विघ्न ।
दुजा नहीं तुझा सारी,
गणेश योगी करी वरणा ।।
आरती ब्रह्मणस्पति,
नेति आणि विश्वाची गति ।
शांति योग प्राप्ति कराने,
सकला भ्रमा तुजा ध्याति ।।
इस आरती में ब्रह्मणस्पति की महिमा को गुणगान किया गया है। इसमें कहा गया है कि ब्रह्मणस्पति जगत की गति के साथ साथ शांति और योग की प्राप्ति के लिए भी जाने जाते हैं। वह सभी के आई और बाप, और सब कुछ का स्वामी हैं। वे हमें ज्ञान, मुक्ति, और सिद्धि प्रदान करते हैं। ब्रह्मणस्पति की आरती करने से सकल भ्रम और विघ्न दूर होते हैं, और हमें आत्मज्ञान, बुद्धि, और मन की शांति मिलती है।
Brahmanaspati Aarti Lyrics in English